मदरसे के विभाग
मदरसा हाज़ा के शोबे जात निम्नलिखित हैं-
शोबा अहतमाम- इस शोबे को मरकज़ी हैसियत हासिल है। नीज़ मदरसा हाज़ा के समस्त शोबों की निगरानी और शिक्षकों की नियुक्ति या सेवा समाप्ति के आदेश, नीज़ मसलके मदरसे की हिफाज़त व इशाअत दारूल अहतमाम से सम्बन्धित हैं और इस शोबे के ज़िम्मेदार जनाब मौलाना मुहम्मद मारूफ साहब इशाअती हैं।
शोबा तालीमात - तमाम शोबों में इस शोबे को श्रेष्ठता प्राप्त है क्योंकि यही शोबा इदारे के उद्देश्यों की तकमील है।
शोबा मुहासबी - इस शोबे में संस्था के समस्त आय-व्यय का पूरा हिसाब-किताब रखा जाता है। जो भी छोटी-बड़ी रक़म संस्था में आती है उसकी रसीद आदि इसी शोबे से जारी होती हैं, हर रक़म का अंकन इसी शोबे में होता है और जो रक़म खर्च होती है उसके लिये एक वावचर बनाया जाता है, जिस पर बनाने वाले के हस्ताक्षर और स्वयं प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर होते हैं।
शोबा नाज़रह - अल्हमदुलिल्लाह.! इस शोबे में छात्रों को नूरानी कायदे से लेकर नाज़रा कुरआन करीम मयतजवीद मुकम्मल पढ़ाया जाता है।
शोबा तहफीज़ुल कुरआन - इस शोबे में छात्रों को कुरआन करीम हिफ्ज़ कराया जाता है जो एक अहम ज़रूरी कार्य है। नीज़ क़वाइद और इजरा का अहतमाम किया जाता है। दिन-रात की निगरानी के साथ इस शोबे में शिक्षकगण अपनी श्रेष्ठ सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
शोबा तजवीद व किरात - इस शोबे में तजवीद व किरात की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। साथ ही तरतीलन व तदवीरन व हदरन मश्क़ और इजरा का अहतमाम किया जाता है।
शोबा दीनियात - अल्हमदुलिल्लाह.! मदरसा हाज़ा में दीनियात के अनुभाग का सम्पूर्ण प्रबन्ध किया गया है। इस शोबे में मदरसा हाज़ा के छात्रों के साथ-साथ आस-पास के स्कूल और कॉलेजों में जाने वाले छात्र भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
शोबा प्राईमरी - नूरानी कायदा पूर्ण होने के पश्चात नाज़रा कुरआन करीम के साथ हिन्दी, अंग्रेजी एवं गणित कक्षा 8 तक पढ़ाने का प्रबन्ध है।
दारूल इक़ामह - संस्था के आन्तरिक मामलों में इस शोबे का खास दखल है जैसे- छात्रों के लिए आवास का प्रबन्ध, बाहर जाने पर उनकी निगरानी, बीमारी की स्थिति में उनको हर संभव सहायता, सर्दी के मौसम में लिहाफ, कम्बल आदि का वितरण इसी शोबे से सम्बन्धित हैं।
मतबख़ - इस अनुभाग के अन्तर्गत छात्रों को एकाग्रतापूर्वक शिक्षा में लगाए रखने के लिए दोनों समय भोजन व नाश्ता आदि की तैयारी, उसका वितरण और उसका समस्त हिसाब का रिकार्ड़ आदि सब शामिल है।
शोबा तबलीग - दावत व तबलीग की तरफ खुसूसी तवज्जो दिलाकर इल्मी व अमली इस्तअदाद पैदा कराई जाती है। अल्हम्दुलिल्लाह इस शोबे में छात्र लोगों को नमाज़ और दीनी तालीम की दावत देते हैं।
शोबा नश्र व इशाअत - इस शोबे के अन्तर्गत वह तमाम चीज़ें तैयार की जाती हैं जिनकी ज़रूरत हालात ए दीन व शरीअत के तक़ाज़ों के मुताबिक़ ज़रूरी और अहम होती है, उनको तैयार करके छपवाया जाता है।